Sunday, December 5, 2010

असुविधा

अशोक कुमार पाण्डेय का ब्लॉग 

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हिंदी कविताओं पर केंद्रित श्री अशोक कुमार पाण्डेय का ब्लॉग.

1 comment:

  1. हिंदी

    हम हिंदी हैं, हिंदी का हम सब को अभिमान हैं
    सारी भाषाएँ प्यारी हैं, पर हिंदी हमारी जान हैं

    जन में हिंदी, मन में हिंदी, हिंदी हो हर ग्राम में
    हिंदी का उपयोग करें हम अपने हर एक काम में
    एक सूर हैं , एक ताल हैं, एक हमारी तान हैं
    सारी भाषाएँ प्यारी हैं

    राजभाषा हैं ये हमारी, राष्ट्रीयता का प्रतीक हैं
    हिंदी का विरोध करना क्या यह बात ठीक हैं?
    हिंदी की जो निंदा करते, वे अब तक नादान हैं
    सारी भाषाएँ प्यारी हैं

    पूरब- पश्चिम, उत्तर - दक्खिन, हिंदी का हो शासन,
    हर नेता दिया करें, सिर्फ हिंदी में ही भाषण
    सारे विश्व में फैले हिंदी, हम सबका अरमान हैं
    सारी भाषाएँ प्यारी हैं

    डॉ. रज़्ज़ाक शेख 'राही'

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